ख़राब सड़क होने पर नहीं भरना पड़ेगा टोल, सुप्रीम कोर्ट का नया Toll Tax New Rule

Toll Tax New Rule: अगर आप यह सोच रहे थे कि टूटी-फूटी सड़कों पर अब टोल टैक्स नहीं देना पड़ेगा, तो थोड़ा रुक जाइए। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के उस फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है जिसमें खराब सड़कों पर टोल वसूली को गलत बताया गया था। अब नेशनल हाईवे 44 (NH-44) पर सफर करने वालों को फिर से टोल देना होगा।

मामला कैसे शुरू हुआ?

फरवरी 2025 में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि लखनपुर से उधमपुर के बीच की सड़क कई सालों से निर्माणाधीन है, जिससे सफर करने वालों को भारी परेशानी होती है। कोर्ट ने यात्रियों को राहत देते हुए टोल में 80% की कटौती का आदेश दिया था।

हाईकोर्ट ने क्या कहा था?

  • जब सड़कें ठीक नहीं हैं, तो टोल वसूलना सही नहीं है।
  • टोल वसूली का मकसद यात्रियों को बेहतर सड़क सुविधा देना है।
  • खराब सड़क पर पूरा टोल लेना “अनुचित सेवा” की श्रेणी में आता है।

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लखनपुर से उधमपुर तक की हालत

  • सड़क का लगभग 70% हिस्सा अधूरा है।
  • जगह-जगह गड्ढे, डायवर्जन और धूल से सफर करना मुश्किल हो गया है।
  • वाहन जल्दी खराब हो रहे हैं और समय भी ज्यादा लग रहा है।

हाईकोर्ट ने कुछ अहम सुझाव भी दिए:

  1. टोल प्लाजा के बीच कम से कम 60 किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए।
  2. टोल कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन ज़रूरी है।
  3. वैष्णो देवी यात्रियों से गलत तरीके से वसूले जा रहे टोल पर रोक लगे।
  4. नितिन गडकरी के बयान का हवाला, जिसमें उन्होंने कहा था कि “खराब सड़कों पर टोल लेना गलत है।”

NHAI का जवाब क्या था?

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। NHAI ने बताया कि नियमों के अनुसार पहले ही टोल में 25% की कटौती की जा चुकी है और वे अभी भी 75% टोल ही वसूल रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

15 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी।
अब जब तक अगली सुनवाई नहीं होती, तब तक NHAI को 75% टोल वसूलने की अनुमति मिल गई है।
अगली सुनवाई 19 मई 2025 को होगी।

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याचिकाकर्ता की मुख्य बातें

  • नियमों के अनुसार, अधूरी सड़क पर टोल नहीं वसूला जा सकता।
  • टोल प्लाजा के बीच की दूरी सिर्फ 47 किलोमीटर है, जो नियमों के खिलाफ है।
  • खराब सड़क की वजह से यात्रियों को अधिक ईंधन खर्च, समय की बर्बादी और दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है।
  • यह स्थिति यात्रियों के मौलिक अधिकारों का हनन है।

सरकार और नियम क्या कहते हैं?

  • राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम 2008 के मुताबिक, टोल उसी सड़क पर वसूला जा सकता है जो पूरी तरह तैयार हो।
  • मरम्मत या निर्माण कार्य के चलते टोल में 25% तक की छूट दी जा सकती है।
  • सरकार का मानना है कि अगर निर्माण के दौरान टोल बंद किया गया, तो सड़क प्रोजेक्ट की फंडिंग और रखरखाव प्रभावित होगा।

निष्कर्ष:

फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार खराब सड़क पर भी टोल देना अनिवार्य है। हालांकि, 19 मई की अगली सुनवाई में इस मामले में कुछ और बदलाव हो सकते हैं।

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