पहली कक्षा में दाखिले की तय हुई उम्र सीमा, जानिए नए नियम First Class Admission 2025

First Class Admission 2025: हरियाणा सरकार ने पहली कक्षा में दाखिले को लेकर एक अहम फैसला लिया है। अब सरकारी और निजी स्कूलों में पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम आयु सीमा छह वर्ष निर्धारित कर दी गई है। यह कदम नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप उठाया गया है ताकि पूरे देश में शैक्षणिक मानकों का एकरूपता से पालन हो।

शिक्षा निदेशालय ने जारी किए नए निर्देश

हरियाणा के विद्यालय शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि, 1 अप्रैल 2025 तक जिन बच्चों की उम्र 6 वर्ष पूरी हो चुकी होगी, वे पहली कक्षा में दाखिले के पात्र होंगे. जिन बच्चों की उम्र 1 अप्रैल तक 6 साल नहीं हो पाएगी, लेकिन 30 सितंबर 2025 तक 6 साल पूरे कर लेंगे, उन्हें भी दाखिले की अनुमति दी जाएगी।

वर्तमान सत्र और आगामी बदलाव

2024-25 के शैक्षणिक सत्र में 5 साल 6 महीने की उम्र वाले बच्चों को भी पहली कक्षा में दाखिला दिया गया था। लेकिन 2025-26 सत्र से यह नियम सख्ती से लागू होगा कि बच्चे की उम्र कम से कम 6 वर्ष होनी चाहिए।

पूर्व-प्राथमिक कक्षा से आने वाले बच्चों को राहत

यदि कोई बच्चा पूर्व-प्राथमिक कक्षा (Pre-primary) पूरी कर चुका है, लेकिन उसकी उम्र 1 अप्रैल तक 6 साल नहीं हुई है, तो उसे भी पहली कक्षा में प्रोन्नत किया जाएगा। विभाग ने साफ किया है कि ऐसे बच्चों को एक साल पीछे नहीं किया जाएगा, ताकि उनका शैक्षणिक नुकसान न हो।

नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार लिया गया निर्ण

  • NEP 2020 के अनुसार, देशभर में पहली कक्षा में दाखिले के लिए 6 वर्ष की न्यूनतम आयु सीमा तय की गई है।
  • हरियाणा भी अब इस नीति के तहत राष्ट्रीय शैक्षणिक ढांचे के अनुसार अपने दाखिला नियमों को लागू कर रहा है।

क्या कहा गया है आधिकारिक आदेश में?

शिक्षा निदेशालय के आदेश के अनुसार:

शैक्षणिक सत्र 2025-26 से पहली कक्षा में केवल वही विद्यार्थी प्रवेश पा सकेंगे, जिनकी आयु 1 अप्रैल 2025 को छह वर्ष या उससे अधिक होगी। वहीं, 30 सितंबर 2025 तक 6 साल पूरे करने वाले बच्चों को भी छूट के तहत दाखिला दिया जा सकेगा।”

निष्कर्ष: माता-पिता के लिए जरूरी जानकारी

यह फैसला शैक्षणिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। इससे स्कूलों में एक समान उम्र वाले बच्चों का समूह बनेगा, जिससे: सीखने में समरूपता आएगी, मानसिक और सामाजिक विकास में मदद मिलेगी और बच्चों के लिए सीखने की उम्र उपयुक्त शुरुआत सुनिश्चित हो सकेगी.

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