रेपो रेट की कटौती होने पर भी नहीं होगी Home Loan EMI कम, RBI ने दिया झटका

Home Loan EMI : रेपो रेट में लगातार दो बार कटौती की गई है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दो बार 25-25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. जब RBI ब्याज दरें घटाता है, तो इसका सीधा असर लोन पर पड़ता है, यानी लोगों को लोन सस्ता मिलता है और उनका ईएमआई का बोझ कम हो जाता है.

यह आम जनता और व्यापारियों दोनों के लिए फायदेमंद होता है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार दो बार रेपो रेट में 25-25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. जब RBI ब्याज दरें घटाता है, तो इसका मतलब होता है कि होम लोन की EMI कम हो सकती है.

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रेपो रेट कम होने से बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं, जिससे ग्राहकों को लोन सस्ता मिलता है. अभी कई बैंक अपने लोन पर ब्याज दरें घटा रहे है, जिससे लोन लेने वालों को राहत मिल रही है.

ब्याज दरें कम हुई हैं, लेकिन आपको फायदा नहीं मिल रहा?

  • हाल ही में RBI ने रेपो रेट घटाया है, जिससे लोन सस्ता होना चाहिए और आपकी होम लोन EMI भी कम होनी चाहिए थी.
  • लेकिन अगर आपकी EMI अभी भी पहले जैसी ही है, तो इसका मतलब है कि आपको ब्याज दर में हुई कमी का फायदा नहीं मिल रहा.
  • अगर ऐसा हो रहा है, तो आपके लिए कुछ जरूरी बातें जानना बहुत जरूरी है. इनकी पूरी जानकारी पाने के लिए हमारी पूरी खबर जरूर पढ़े.

रेपो रेट कम होने का आसान मतलब

  • जब RBI रेपो रेट कम करता है, तो इससे बैंकों की ब्याज दरें भी घट जाती है. इसका सीधा असर आपके लोन पर पड़ता है, यानी आपकी होम लोन EMI कम होनी चाहिए.
  • नए और पुराने दोनों ग्राहकों को इस बदलाव का फायदा मिलना चाहिए.
  • लेकिन अगर रेपो रेट कम होने के बाद भी आपकी EMI नहीं घटी, तो आपको जरूर जांच करनी चाहिए कि: आपने लोन किस ब्याज दर पर लिया है.
  • आपका लोन फिक्स्ड रेट (जिसमें दर तय होती है) पर है या फ्लोटिंग रेट (जिसमें दर बदलती रहती है) पर.
  • यह जानना जरूरी है ताकि आप समझ सकें कि आपको ब्याज दर में कटौती का फायदा मिल रहा है या नही.

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फिक्स्ड और फ्लोटिंग रेट में क्या फर्क होता है?

अगर आपने फिक्स्ड रेट पर लोन लिया है, तो ब्याज दर तय रहती है. इसका मतलब – चाहे RBI ब्याज दर बढ़ाए या घटाए, आपकी EMI में कोई बदलाव नहीं होगा. लेकिन अगर आपने फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है, तो ब्याज दर बदलती रहती है. RBI अगर ब्याज दर घटाता है, तो आपकी EMI कम हो सकती है. और अगर RBI दर बढ़ाता है, तो EMI बढ़ भी सकती है. इसलिए ये जानना जरूरी है कि आपका लोन किस रेट पर है – फिक्स्ड या फ्लोटिंग.

होम लोन में क्यों होता है फ्लोटिंग रेट?

  • अक्सर होम लोन लंबी अवधि के लिए लिए जाते है और ये ज्यादातर फ्लोटिंग रेट पर ही होते है.
  • इसका मतलब है कि आपकी ब्याज दरें बदलती रहती है, क्योंकि ये RBI की रेपो रेट से जुड़ी होती है.
  • अगर RBI रेपो रेट घटाता है, तो आपकी होम लोन EMI कम हो जाती है.
  • लेकिन अगर रेपो रेट बढ़ता है, तो आपकी ब्याज दर और EMI दोनों बढ़ सकती है.
  • इसलिए फ्लोटिंग रेट पर लिए गए लोन में ब्याज दरों में बदलाव आते रहते है.

कम ब्याज दर का फायदा ऐसे उठाएं

  • अगर आप होम लोन ले रहे हैं और रेपो रेट कम हुआ है, तो आपको इसका पूरा फायदा तभी मिलेगा, जब आपका लोन फ्लोटिंग रेट पर होगा.
  • अगर आपका लोन फिक्स्ड रेट पर है, तो ब्याज दर कम होने का फायदा नहीं मिलेगा.
  • इसके लिए आपको फिक्स्ड रेट को फ्लोटिंग रेट में बदलवाना होगा.
  • यह प्रोसेस आसान है. आपको सिर्फ बैंक में जाकर रजिस्टर करना होगा और थोड़ी सी फीस देनी होती है. इसके बाद आप कम ब्याज दर का फायदा ले सकते है और आपकी EMI भी कम हो सकती है.

रेपो रेट कम होने पर EMI जरूर कम हो ऐसा जरूरी नहीं

  • अगर RBI ने रेपो रेट घटा दिया है, तो इससे आपकी EMI (किस्त) कम हो यह जरूरी नहीं है.
  • कई बार ऐसा होता है कि EMI तो जैसी की तैसी रहती है, लेकिन आपकी लोन की अवधि (tenure) कम हो जाती है.
  • इसका मतलब यह है कि आप जो पैसा हर महीने जमा कर रहे हैं, उसमें से ज्यादा पैसा आपके लोन की मूल राशि (principal) में कट जाता है. इससे आपका लोन जल्दी खत्म हो सकता है.
  • आप अपने बैंक से पूछ सकते हैं कि आपके लिए EMI कम कराना बेहतर है या लोन की अवधि घटवाना. बैंक आपको सही जानकारी देंगे जिससे आप सही फैसला ले सके.

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